१९ जनवरी २००९
पतित पावनी कलिमल हरिणी माँ गंगा यमुना एवं सरस्वती की अविरल धारा प्रयाग विश्वविद्यालय के निराला सभागार में राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ का बिद्यार्थी सम्मलेन श्री तरुण विजय के ओजस्वी उद्हबोधन के साथ संपन्न हुआ ..इस अवसर पर विश्विद्यालय के हजारो छात्रो के साथ हिन्दुत्व राष्ट्रीयता एवं स्वामी विवेकानंद विषय पर श्री तरुण विजय ने सीधा संबाद स्थापित किया प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए तरुण जी ने कहा समस्त प्रकृति के साथ अपनत्व ही हिंदुत्व है दुनिया में लोक तंत्र और वैचारिक स्वतत्रता हिंदू विचार की देन है जिसने चार्वाक जैसे भौतिकवादी को आचार्य और ऋषि कह कर सम्मानित किया उन्होंने स्वामी विवेकानंद को बिद्रोही सन्यासी बताते हुए कहा की उनके गुरु रामकृष्ण, आदि शंकर, और विवेकानंद का दर्शन चुनौतियों का सामना करना और उन्हें परास्त करना सिखाता है स्वामी जी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए श्री तरुण विजय ने उन्हें भारत का आदर्श प्रतिनिधि और युवाओ का सर्वश्रेष्ट आदर्श कहा देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने भारत और चीन के वामपंथियों की तुलना की और कहा की भारतीय वामपंथी देशभक्ति के विरोधी है जिनकी आस्था ,दर्शन और प्रतीक विदेशी है संस्कृति पर अघात करना और माटी के प्रति विद्रोह इनका चरित्र रहा है इनके विपरीत चीन के वामपंथी देशभक्त और राष्ट्रवादी है चीन के तीब्र आर्थिक विकास के पीछे उनकी फर्स्ट चाइना पालिसी राष्ट्रवाद से प्रेरित है चीनी वामपंथी आज भी कुमारजीव को चीन का पहला शिक्षक मानते है वही भारतीय वामपंथियों के देशद्रोही स्वभाव ने देश की एकता और अखंडता को प्रभावित किया है बिगत २०० वर्षो में भारत आधा हुआ है और १०० वर्षो में चीन दोगुना हुआ है युवाओ का आह्वाहन करते हुए उन्होंने चुनौतियों का सामना करने को कहा आप खूब स्वाध्याय कीजिये , अपने बिषय में प्रभुत्वा स्थापित कीजिये और राष्ट्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिये उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उधृत करते हुए कहा की कमजोर की बलि चदा दी जाती है ,कमजोर व्यक्ति ,समाज अथवा राष्ट्र का सत्य भी स्वीकार नही होता अतः हमें मजबूत बनाना होगा आज एक अमेरिकी डालर में ४८ रूपये मिलते है ,हम इतने मजबूत राष्ट्र का निर्माण करे की एक रूपये में ४८ डालर मिले यह चुनौती स्वीकारनी होगी और यह संभव है मराठी में कहावत "याची देही याची डोला" हम अपने इसी शरीर से इसी जीवन में कर दिखाए विद्यार्थियों के एक प्रश्न की भूमंडलीकरण उदारीकरण के इस युग में स्वदेसी की क्या प्रासंगिकता है ? श्री तरुण जी ने इसे भारत के संकल्प और स्वाभिमान से जोड़ा इस्राइल का उदहारण सामने रखते हुए कहा की १००० वर्षो के संघर्ष के बाद यहूदियों को इस्राइल प्राप्त हुआ और उन्होंने स्वभाषा , स्वदेश को सर्वोपरी रखते हुए श्री बेन कुरियन को इस्राइल का पिता कहा एवं अपनी हिब्रू भाषा को ही राष्ट्र भाषा स्वीकार किया अपने धारा प्रवाह उदबोधन में उन्होंने कहा की भारत ने सभी धर्म , मत , पंथ , विचार का स्वागत किया यंहा सभी को पुरी स्वतंत्रता और सम्मान प्राप्त हुआ ऐसा हिंदू जनसँख्या और उसके सर्व धर्म समभाव के कारन है हमारी यही बिशेषता कुछ बिधर्मियो को रस नही आती और हिंदू जनसँख्या पर मुहम्मद बिन कासिम से लेकर मुंबई के ताज तक लगातार हमले होते आए हमने अनेको युद्ध लड़े आज़ादी के बाद हमारे उपर तीन तीन युद्ध थोपे गए अब यदि एक और युद्ध हमारी इच्छा से हो तो हर्ज क्या है ? उन्होंने कहा "हु फीयर वार, वार गेट डेम" अतः शान्तिपूर्वक रहने की पहली शर्त है सदैव युद्ध के लिए तैयार रहना विश्व में शान्ति की स्थापना तभी हो सकती है जब हम परम वैभवशाली , अजेय ,अपराजेय , शक्तिशाली भारत का निर्माण करे यही कार्य राष्ट्रिय स्वयमसेवक संघ पिछले ८५ वर्षो से अहर्निश करता चला आ रहा है उन्होंने संघ को पृथ्वी का नमक "साल्ट आफ अर्थ" कहा विद्यार्थियों से अपने देश के प्रति का रिश्ता रखने का आग्रह करते हुए इस बिन्दु पर विस्तार से प्रकाश डाला और प्रत्येक के लिए सैनिक प्रसिक्षण अनिवार्य माना जिहादी विचारधारा और आतंकवाद पर युवायो को झकझोरते हुए उन्होंने इसे भारत की सनातन संस्कृति पर हमला कहा और जैसे को तैसा नीति अपनाने को युग धर्म कहा हम सबको राष्ट्र को ललकारने वाली इन चुनौतियों को स्वीकार करना होगा और उनको परस्त करना होगा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉक्टर कृष्ण गोपाल श्रीवास्तव ने कहा की भारतीय सभ्यता ५००० वर्ष पुरानी नही बल्कि इसकी गड़ना ही असंभव है हमारे वेद्, उपनिषद हमारा ज्ञान विज्ञानं विश्व में सर्वश्रेष्ट और बेजोड़ है आज भी भारत के पास विश्व का मार्गदर्शन करने की क्षमता मौजूद है कायक्रम का सफलता पूर्वक सञ्चालन कार्तिकेय ने किया मंच पर विभाग संघ चालक श्री राम शिरोमणि , डॉक्टर गिरीश , डॉक्टर रना कृष्णपाल एवं पूर्व छात्र संघ अद्यक्ष लक्ष्मीशंकर ओझा उपस्थित रहे कार्यक्रम की व्यवस्था में विभाग प्रचारक श्री अरविन्द जी आरम्भ से ही सक्रीय बने रहे
1 comment:
श्री तरुण विजय को बोलते हुए सुनना स्वयं में एक आह्लादकारी अनुभव होता है। विषय पर गहरी पकड़ के साथ साथ अगर ओजस्वी वाणी, हिंदी एवं अंग्रेज़ी भाषा पर पूर्ण अधिकार, अत्यन्त तार्किक एवं नपे तुले शब्दों में अपनी बात को कहने की कला उनको देश के गिने चुने वक्ताओं में लाकर खड़ा करती है। मैं तरुण जी से प्रर्थना करूंगा कि वह अपने भाषण का ऑडियो, यदि व्यवस्था हो सके तो अपने ब्लौग पर अवश्य डालें।
अब रही बात स्वामी विवेकानंद की उनका एक कथन अभी मेरे सम्मुख आया - मैं उस प्रभु का सेवक हूं जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं। नर सेवा ही नारायण सेवा है - यह उनके जीवन का ध्येयवाक्य रहा है। हम सभी उनका अनुकरण करके उनके जैसे ही विशिष्ट बनने की चेष्टा करेण तो यह उनके प्रति प्यार, आदर व सम्मान का सबसे अच्छा प्रमाण होगा।
सुशान्त सिंहल
www.sushantsinghal.blogspot.com
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