इस गाँधी आतंकवाद ने सबसे पहेले १९४७ में अपने पैर पसारे १० लाख लोगो का कत्ले आम कराया इस आतंकवाद ने. इसी आतंकवाद ने लाखो माओ और बहेनो के साथ बलात्कार कराया. देखो आतंकवादी आतंकवादी होता है वो चाहे ऐ के ४७ के साथ हो या लाठी के. १९८४ में इस गाँधी आतंकवाद ने सरे आम वो भी देश की राजधानी में ५००० सिख बहेनो और भाइओ को कत्ले आम किया जैसे कम्बोडिया में पोल पोट ने किया था. फिर इस गाँधी आतंकवाद के अतंकवादियो ने एक और देश श्री लंका की सम्पर्भुता को नष्ट करने और अपने ही देश के वीर सैनिको को अपमानजनक स्थिति में मरने दिया गया जैसे के सद्दाम हुसैन ने अपने रेवाल्नुशरी गार्ड अपनी सनक से मरवा दिए. फिर इस गाँधी आतंकवाद ने पुरे देश को पिछले ६० सालो से दो खिब्तो में बाँट कर रखा इस आतंकवाद ने १९८९ में राम मंदिर के ताले खुलवाये और इसी ने बाबरी ढांचा ढाया और पांच चुनी राज्य सरकार को बर्खास्त कर अपने किये पर पर्दा डाला और कालांतर में उसी आतंकवाद के भावी कमांडर इन चीफ ने देवबंद में जाकर माफ़ी भी मांगी. १९८४ के कत्ले आम की माफ़ी भी मांगी, १९७५ के वो रंज और गम के आपातकाल की माफ़ी भी मांगी और हिंदुस्तान की जनता की छाती पर गाँधी आतंकवाद का झंडा आज भी फहर रहा है और लोग सुबकिया ले रहे है. गाँधी आतंकवाद की कोख से निकला आर्थिक आतंकवाद (महंगाई) आम आदमी की जिंदगी रोज ले रहा है. किसान रोज आत्महत्या कर रहे है जैसे जरनल डायर के डर से लोग कुए में कूद कर आत्महत्या कर रहे थे. आज इन आतंकवादी घटनाओ को करने के बाद जब आप माफ़ी मांग सकते हो तो फिर तो कसाब और अफजल को भी आप माफ़ कर ही दोगे क्योंकि आपने जो नौटंकी की है क्या गारंटी है की शाहबानो केस में जब सुप्रीम कोर्ट को आपने उसकी औकात बता दी थी, इलाहाबाद हाई कोर्ट की हैसियत दिखा दी थी इस गाँधी आतंकवाद ने तो आज फिर आप क्यों नहीं दिखा सकते जब आपकी सरकार ने आंध्र में संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ करके मुसलमानों का आरक्षण दे ही दिया तो फिर बच क्या गया आतंकवादी ही तो यह सब काम करते है जो आप कर रहे हो और फिर इस गाँधी आतंकवाद की कोख से चिताम्बरम का लुंगी आतंकवाद निकला (अरे हंसने की बात नहीं और न ही अपमानजनक भाषा मानी जाये. मतलब यह शक्श एक जिमीदार मंत्री होकर मेरे पुरखो, मेरे गुरुओ के त्याग का अपमान कर सकता है उनकी भावनाओ और गरिमा का अपमान कर सकता है , महाभारत में सत्य के भगवा पताका का अपमान कर सकता है, गुरु गोबिंद सिंह जी के ध्वज का अपमान कर सकता है, शिवाजी के गरूर का अपमान कर सकता है और हम इसको अपना मंत्री बने रहेने दे सकते है थू है हम पर और हमारी कमजोरी पर) और इसको भगवा शब्द को आतंकवाद से जोड़ कर देने की इज्जाजत कैसे दी जा सकती है.http://parshuram27.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
ABVP victory is good news. But please ensure that every student in the organization takes an annual pledge to never disrespect the teaching faculty. That will be in line with Bharat's glorious tradition.
सत्ता में बने रहने के लिए..... सत्तासीन..... और सत्ता पाने के लिए.... सत्ताविहीन...... साथ में कुछ .... तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पत्रकार..... और थोड़े से लोग बुद्धिहीन ..... दिन-रात अपना मत्था फोड़ रहे हैं.... चंद वोटों की ख़ातिर...... राजनीति के ये शातिर..... कर रहे हैं अनर्गल प्रलाप ...... और जप रहे हैं..... 'भगवा' आतंकवाद का जाप..... असल मुद्दों से हटकर...... धर्म व आतंकवाद की राजनीति कर.. त्याग, तपस्या और शौर्य के प्रतीक.... 'भगवा' रंग को............................ आतंकवाद से जोड़ रहे हैं................ और इस क्रम में ये दुष्ट.................. देशद्रोहियों को छोड़ ...................... देशभक्तों की गर्दन मरोड़ .............. अपने प्यारे भारत को तोड़ रहे हैं...... क्या ये बेशर्म इतना भी नहीं जानते ? कि हर बुराई की तरह.......................... आतंकवाद का भी कोई धर्म नहीं होता.... कोई 'रंग' आतंकवाद के संग नहीं होता.... इसीलिए इसका कोई 'रंग' भी नहीं होता.... क्या इनको इतनी भी नहीं तमीज़? जो ये जान सकें........ कि इस दुनिया में .... 'हिन्दू' या 'भगवा' आतंकवाद......... जैसी नहीं है कोई चीज़................
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इस गाँधी आतंकवाद ने सबसे पहेले १९४७ में अपने पैर पसारे १० लाख लोगो का कत्ले आम कराया इस आतंकवाद ने. इसी आतंकवाद ने लाखो माओ और बहेनो के साथ बलात्कार कराया. देखो आतंकवादी आतंकवादी होता है वो चाहे ऐ के ४७ के साथ हो या लाठी के. १९८४ में इस गाँधी आतंकवाद ने सरे आम वो भी देश की राजधानी में ५००० सिख बहेनो और भाइओ को कत्ले आम किया जैसे कम्बोडिया में पोल पोट ने किया था. फिर इस गाँधी आतंकवाद के अतंकवादियो ने एक और देश श्री लंका की सम्पर्भुता को नष्ट करने और अपने ही देश के वीर सैनिको को अपमानजनक स्थिति में मरने दिया गया जैसे के सद्दाम हुसैन ने अपने रेवाल्नुशरी गार्ड अपनी सनक से मरवा दिए. फिर इस गाँधी आतंकवाद ने पुरे देश को पिछले ६० सालो से दो खिब्तो में बाँट कर रखा इस आतंकवाद ने १९८९ में राम मंदिर के ताले खुलवाये और इसी ने बाबरी ढांचा ढाया और पांच चुनी राज्य सरकार को बर्खास्त कर अपने किये पर पर्दा डाला और कालांतर में उसी आतंकवाद के भावी कमांडर इन चीफ ने देवबंद में जाकर माफ़ी भी मांगी. १९८४ के कत्ले आम की माफ़ी भी मांगी, १९७५ के वो रंज और गम के आपातकाल की माफ़ी भी मांगी और हिंदुस्तान की जनता की छाती पर गाँधी आतंकवाद का झंडा आज भी फहर रहा है और लोग सुबकिया ले रहे है. गाँधी आतंकवाद की कोख से निकला आर्थिक आतंकवाद (महंगाई) आम आदमी की जिंदगी रोज ले रहा है. किसान रोज आत्महत्या कर रहे है जैसे जरनल डायर के डर से लोग कुए में कूद कर आत्महत्या कर रहे थे. आज इन आतंकवादी घटनाओ को करने के बाद जब आप माफ़ी मांग सकते हो तो फिर तो कसाब और अफजल को भी आप माफ़ कर ही दोगे क्योंकि आपने जो नौटंकी की है क्या गारंटी है की शाहबानो केस में जब सुप्रीम कोर्ट को आपने उसकी औकात बता दी थी, इलाहाबाद हाई कोर्ट की हैसियत दिखा दी थी इस गाँधी आतंकवाद ने तो आज फिर आप क्यों नहीं दिखा सकते जब आपकी सरकार ने आंध्र में संविधान की मूल भावना से खिलवाड़ करके मुसलमानों का आरक्षण दे ही दिया तो फिर बच क्या गया आतंकवादी ही तो यह सब काम करते है जो आप कर रहे हो और फिर इस गाँधी आतंकवाद की कोख से चिताम्बरम का लुंगी आतंकवाद निकला (अरे हंसने की बात नहीं और न ही अपमानजनक भाषा मानी जाये. मतलब यह शक्श एक जिमीदार मंत्री होकर मेरे पुरखो, मेरे गुरुओ के त्याग का अपमान कर सकता है उनकी भावनाओ और गरिमा का अपमान कर सकता है , महाभारत में सत्य के भगवा पताका का अपमान कर सकता है, गुरु गोबिंद सिंह जी के ध्वज का अपमान कर सकता है, शिवाजी के गरूर का अपमान कर सकता है और हम इसको अपना मंत्री बने रहेने दे सकते है थू है हम पर और हमारी कमजोरी पर) और इसको भगवा शब्द को आतंकवाद से जोड़ कर देने की इज्जाजत कैसे दी जा सकती है.http://parshuram27.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
frrs
ABVP victory is good news. But please ensure that every student in the organization takes an annual pledge to never disrespect the teaching faculty. That will be in line with Bharat's glorious tradition.
सत्ता में बने रहने के लिए.....
सत्तासीन.....
और सत्ता पाने के लिए....
सत्ताविहीन......
साथ में कुछ ....
तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पत्रकार.....
और थोड़े से लोग बुद्धिहीन .....
दिन-रात अपना मत्था फोड़ रहे हैं....
चंद वोटों की ख़ातिर......
राजनीति के ये शातिर.....
कर रहे हैं अनर्गल प्रलाप ......
और जप रहे हैं.....
'भगवा' आतंकवाद का जाप.....
असल मुद्दों से हटकर......
धर्म व आतंकवाद की राजनीति कर..
त्याग, तपस्या और शौर्य के प्रतीक....
'भगवा' रंग को............................
आतंकवाद से जोड़ रहे हैं................
और इस क्रम में ये दुष्ट..................
देशद्रोहियों को छोड़ ......................
देशभक्तों की गर्दन मरोड़ ..............
अपने प्यारे भारत को तोड़ रहे हैं......
क्या ये बेशर्म इतना भी नहीं जानते ?
कि हर बुराई की तरह..........................
आतंकवाद का भी कोई धर्म नहीं होता....
कोई 'रंग' आतंकवाद के संग नहीं होता....
इसीलिए इसका कोई 'रंग' भी नहीं होता....
क्या इनको इतनी भी नहीं तमीज़?
जो ये जान सकें........
कि इस दुनिया में ....
'हिन्दू' या 'भगवा' आतंकवाद.........
जैसी नहीं है कोई चीज़................
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