भारत पर मंडराते खतरे और जनता को बांटती भारत विरोधी भारत सरकार आज एक बात जो सपष्ट दिख रही है बो है भारत पर मंडराता चीनी खतरा । मजे की बात यह है कि जब चीन लगातार भारत के अन्दरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर भारत पर हमला करने के सपष्ट संकेत दे रहा है उस बक्त भी बार की भारत-विरोधी हिन्दुविरोधी सरकार सुकक्षाबलों में सिर्फ मुसलमानों की भरती करने की घोषणा कर देश की जनता को बिन्दू-मुसलिम के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है। सोचने बाला विषय यह है कि जो चीन एक बक्त भारत के लगभग बराबर की ही ताकत रखता था बो आज भारत से इतन ज्यादा शक्तिशाली कैसे दिखता है कमोवेश हालात इतने खतरनाक हो गए हैं कि अमेरिका भी चीन के डर से दलाइलामा से बात करने से मना कर देता है। हमारे विचार में चीन के आगे बढ़ने का सबसे बढ़ा कारण है वहां का स्वाभिमानी देशभक्त नेतृत्व और भारत के पिछड़ने का सबसे बढ़ा कारण है भारत का बौद्धिक गुलाम हिन्दुविरोधी देशविरोधी नेतृत्व। चीन के आगे बढ़ने का दूसरा सबसे बढ़ा कारण है वहां पर लोकतन्त्र का न होना क्योंकि यही लोकतन्त्र है जिसकी बजह से आज भारत की सारी जनता को सांप्रदाय,क्षेत्र,भाषा,जाति के आधार पर बांटकर इन गद्दार नेताओं ने एसे हालात पैदा कर दिए कि आज देश के प्रधानमन्त्री और राष्पट्रति तक एक विदेशी औरत एंटोनियो माइनो मारियो के गुलाम हैं । कोइ भी देश सिर्फ अर्थ और सेना के बल पर ताकतबर नहीं बनता ।देश की सबसे बढ़ी ताकत होती है उसकी सांस्कृतिक एकता । भारत के इन मंदबुद्धि नेताओं ने भारत के लोगों को धर्मनिरपेक्षता के बहाने इस सांस्कृतिक धरोहर से अलग-थलग करने का सबसे बढ़ा हिन्दुविरोधी –देशविरोधी षडयनत्र किया जिसके परिणाम स्वरूप देश में एक एसा बुद्धिजीवी(परजिवी) बर्ग त्यार हुआ जिसने इसाइ दलालों व मुसलिम जिहादी आतंकवादियों के पैसे के बल पर देश में एक एसा मिडीया नैटबर्क त्यार किया जिसका एकमात्र लक्ष्य सांस्कृतिक राष्ट्रबाद के ध्वजबाहक देशभक्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को बदनाम कर राष्ट्रबाद की ज्वाला को निरूत्साहित व समाप्त करना है। इस देशविरोधी मिडीया की बजह से ही आज देशभक्ति की ज्वाला की जगह नशैड़ीप्रवृति, बैस्यवृति और ब्याभिचार की लत देश की युबा पीढ़ी को जकड़ती जा रही है । ये तो भला हो देश के सैंकड़ों छोटे-बड़े हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का जिन्होंने आर एस एस के नेतृत्व में विपरीत परिस्थितियों में भी सांस्कृतिक राष्ट्रबाद की ज्वाला को जगाय रखा । जिसके परिणामस्वारूप स्वामी रामदेब जी के नेतृत्व में एक एसी क्रांति का शूत्रपात जो चुका है जो देश के अन्दर और बाहर के शत्रुओं का समूलनाश करने पर ही शांत होगी।
1 comment:
भारत पर मंडराते खतरे और जनता को बांटती भारत विरोधी भारत सरकार
आज एक बात जो सपष्ट दिख रही है बो है भारत पर मंडराता चीनी खतरा । मजे की बात यह है कि जब चीन लगातार भारत के अन्दरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर भारत पर हमला करने के सपष्ट संकेत दे रहा है उस बक्त भी बार की भारत-विरोधी हिन्दुविरोधी सरकार सुकक्षाबलों में सिर्फ मुसलमानों की भरती करने की घोषणा कर देश की जनता को बिन्दू-मुसलिम के नाम पर बांटने की कोशिश कर रही है।
सोचने बाला विषय यह है कि जो चीन एक बक्त भारत के लगभग बराबर की ही ताकत रखता था बो आज भारत से इतन ज्यादा शक्तिशाली कैसे दिखता है कमोवेश हालात इतने खतरनाक हो गए हैं कि अमेरिका भी चीन के डर से दलाइलामा से बात करने से मना कर देता है।
हमारे विचार में चीन के आगे बढ़ने का सबसे बढ़ा कारण है वहां का स्वाभिमानी देशभक्त नेतृत्व और भारत के पिछड़ने का सबसे बढ़ा कारण है भारत का बौद्धिक गुलाम हिन्दुविरोधी देशविरोधी नेतृत्व।
चीन के आगे बढ़ने का दूसरा सबसे बढ़ा कारण है वहां पर लोकतन्त्र का न होना क्योंकि यही लोकतन्त्र है जिसकी बजह से आज भारत की सारी जनता को सांप्रदाय,क्षेत्र,भाषा,जाति के आधार पर बांटकर इन गद्दार नेताओं ने एसे हालात पैदा कर दिए कि आज देश के प्रधानमन्त्री और राष्पट्रति तक एक विदेशी औरत एंटोनियो माइनो मारियो के गुलाम हैं ।
कोइ भी देश सिर्फ अर्थ और सेना के बल पर ताकतबर नहीं बनता ।देश की सबसे बढ़ी ताकत होती है उसकी सांस्कृतिक एकता । भारत के इन मंदबुद्धि नेताओं ने भारत के लोगों को धर्मनिरपेक्षता के बहाने इस सांस्कृतिक धरोहर से अलग-थलग करने का सबसे बढ़ा हिन्दुविरोधी –देशविरोधी षडयनत्र किया जिसके परिणाम स्वरूप देश में एक एसा बुद्धिजीवी(परजिवी) बर्ग त्यार हुआ जिसने इसाइ दलालों व मुसलिम जिहादी आतंकवादियों के पैसे के बल पर देश में एक एसा मिडीया नैटबर्क त्यार किया जिसका एकमात्र लक्ष्य सांस्कृतिक राष्ट्रबाद के ध्वजबाहक देशभक्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को बदनाम कर राष्ट्रबाद की ज्वाला को निरूत्साहित व समाप्त करना है।
इस देशविरोधी मिडीया की बजह से ही आज देशभक्ति की ज्वाला की जगह नशैड़ीप्रवृति, बैस्यवृति और ब्याभिचार की लत देश की युबा पीढ़ी को जकड़ती जा रही है ।
ये तो भला हो देश के सैंकड़ों छोटे-बड़े हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों का जिन्होंने आर एस एस के नेतृत्व में विपरीत परिस्थितियों में भी सांस्कृतिक राष्ट्रबाद की ज्वाला को जगाय रखा । जिसके परिणामस्वारूप स्वामी रामदेब जी के नेतृत्व में एक एसी क्रांति का शूत्रपात जो चुका है जो देश के अन्दर और बाहर के शत्रुओं का समूलनाश करने पर ही शांत होगी।
Post a Comment